
हवा चल रही है आसमान में,
आंधी चल रही है मेरे जहां में
मुझे याद ही नहीं कि आखिरी बार कब महसूस की थी खुशी,
आज बस दर्द बचा है और मेरा अकेला दिल जो है दुखी
रोशिनी चाँद से होती है, सितारों से नहीं;
दोस्ती एक से होती है, हजारों से नहीं
सत्य है, परन्तु मैं तो वह एक दोस्त भी नहीं ढूंढ पाया,
मैं कभी भी दोस्ती के आनंद में नहीं समाया
आंधी चल रही है मेरे जहां में
मुझे याद ही नहीं कि आखिरी बार कब महसूस की थी खुशी,
आज बस दर्द बचा है और मेरा अकेला दिल जो है दुखी
रोशिनी चाँद से होती है, सितारों से नहीं;
दोस्ती एक से होती है, हजारों से नहीं
सत्य है, परन्तु मैं तो वह एक दोस्त भी नहीं ढूंढ पाया,
मैं कभी भी दोस्ती के आनंद में नहीं समाया
मेरा जीवन अफ़सोस से भरा है,
लाभ कहाँ है? जो भी है, वह है क्षय
सुख का स्पर्श करना हे अब मेरे जीवन का परम लक्ष्य है,
प्रार्थना करता हूँ कि इस सत्कर्म में पाऊं विजय
क्या बढ़ता चलूँ मैं लाख मुसीबत आने पे?
क्या मुझको मिल सकेगी सफलता जीने में, मर जाने में?
क्या मैं कभी भी जीवन कि दुविधाओं से उभर पाउँगा?
हे ईश्वर! मैं इस कठोर सत्य का सामना करना चाहूँगा
मेरा जीवन पुष्प-रहित है,
कंटक के समान स्मृतियाँ मुझमे समाहित हैं
क्या मैं कभी भी अपने केवन को कर पाउँगा समर्थ?
राह दिख तो रही है परन्तु क्या वो सही है या है अनर्थ?
मैं फंसा हुआ हूँ एक सूखी मझदार में,
न जी सकता हूँ, न मर सकता हूँ इस कठोर संसार में
बस भटकने को हे जीवित है मेरी आत्मा,
क्योंकि उसे कोई नहीं मिला जो देता स्वार्थहीन सांत्वना
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